Add To collaction

गुरू (लेखनी कहानी -14-Jun-2022)

गुरुपूर्णिमा विशेष

पूर्णिमा गुरु व्यास की,कोटि नवाऊँ माथ।
रहे कृपा तेरी सदा,हरपल मेरे साथ।।

सदा रहे गुरुदेव की ,मेरे सर पर हाथ। 
चलूँ डगर मैं यूँ सदा,लेकर सबको साथ।।

मात पिता के नेह से,बढ़ता निशदिन मान।
कर्म धर्म से ही मिले,दुनिया में पहचान।।

चरण नमन गुरुदेव की,सदा करें दिन रात।
अंग अंग है जब भीगता,करे ज्ञान बरसात।।

गुरु के सुमरन से सदा,बनते बिगड़े काम।
जिनकी करुणा से मिले,नटवर सीताराम।।

मान गुरु आदेश को,दे अंगूठा दान।
एकलव्य तुम धन्य है,जग में हुए महान।।

शिष्य वही ही है भला,माने गुरु की बात।
अंतर्मन में भी सदा,दे दर्शन दिन रात।।

हे मेरे गुरुदेव जी,तुम ही हो करतार।
नमन सदा स्वीकार हो,अर्जी बारम्बार।।

दोहाकार-
तोषण कुमार चुरेन्द्र "दिनकर"
धनगाँव, डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
पिन 491771
संपर्क 9617589667

   13
5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

15-Jun-2022 07:04 PM

बेहतरीन रचना

Reply

नंदिता राय

14-Jun-2022 06:28 PM

बेहतरीन

Reply

Swati chourasia

14-Jun-2022 04:11 PM

Superb 👌👌

Reply